“ कर खुद को इतना बुलंद , अगर बुलंदी का शौक हैं , क्यूंकि एक तेरे बदलने से ही भारत का बदलाव स्वरूप हैं |”
बदलाव एक ऐसा शब्द हैं जो समय के साथ – साथ हर व्यक्ति , वृक्ष, समाज यहाँ तक की ऋतुओं में भी देखा जाता हैं | जिस तरह एक मनुष्य जीवन भर एक जैसा नहीं रह सकता , उसी प्रकार कोई देश भी हमेशा एक सा नहीं रह सकता | समय के चलते ये भी अपना स्वरुप बदलता रहता है | आज हम जिस भारत में रहते हैं वो प्राचीन समय से बिलकुल बदला हुआ प्रतीत होता हैं | जिसके कुछ सकारात्मक एवं कुछ नकारात्मक तत्व भी हैं |
वर्त्तमान काल में हमारे पास कई नयी तकनीके हैं जिन्होंने हमारे जीवन को बेहद सरल बना दिया हैं | जहाँ कई मीलों पैदल चल कर एक स्थान से दुसरे स्थान पर पंहुचा जाता था , वहां आज हम साइकल , मोटर साईकल , रेलगाड़ी यहाँ तक कि आकाशमार्ग के माध्यम से पलक झपकते ही चाँद मिनटों में पहुच सकते हैं | इसके उपरांत शिक्षा जो की ईद के चाँद के भाँती कही कही और बहुत कम लोगो के पास दिखाई देती थी | जहाँ मनोरंजन का कोई साधन नहीं था वहा आज हम टीवी मोबाइल तथा विभिन्न प्रकार के आविष्कारों का लाभ उठाते हैं |चिकित्सा सुविधाओं की बात करे तो आज ऐसी भी बिमारियों का इलाज किया जा सकता हैं जो प्राचीन काल में अजगर के भाँती पूरा गाँव निगल जाया करती थी |
बदलते भारत में जहाँ इतने सारे बदलाव हुए वहां हम आज नकारात्मक तत्वों को भी समाज में ले कर खड़े हैं | जिन्हें मै कुछ पंक्तियों के माध्यम से बताना चाहूंगी –
संयुक्त से टूट के एकाकी में बट गए परिवार ,
कारोबार को छोड़ कर बेरोज़गारी में बट गया समाज
पुष्प, पेड़ थे जहा उन्हें काटकर सड़कों में बीछ गए गाँव
संस्कृति को पीछे छोड़ विदेश की तरफ बढ़ गये सब के पाँव |
आज हम देखे तो जहा कई पीढियां एक साथ रहती थी , आज वह समाज , गाँव को छोड़ कर शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं | जिससे आने वाली पीढ़ी अपनी भारतीय संस्कृति को छोड़ कर विदेशी तत्वों एवं हाय हेलो को अपना रही हैं | जैसे हम अपने बड़े – बुजुर्गों से सुनते हैं कि –
एक हमारा ज़माना था जहाँ अंकल आंटी ना कह कर ताऊ चाचा कहा जाता था
जहा तेरा मेरा नही हमारा बोला जाता था जहा अपनों से जुदा नहीं बल्कि अपनो के साथ अपनेपन से रहा जाता था |
वर्त्तमान समय में बदलते हुए परिपेक्ष्य के अनुसार जनसँख्या वृद्धि सबसे बड़ा संकट हैं , जिससे बेरोज़गारी रोज़ किसी का दरवाज़ा खटखटा रही हैं | दूसरी और जहा देश प्रगति की ओर बढ़ रहा हैं ,
वाही देश में पर्यावरण प्रदुषण भी एक बड़ी समस्या बन रही हैं , जिससे कई बीमारियाँ जन्म लेती हैं और एक संकट की तरह हमारी इर्द गिर्द मंडराती नज़र आती हैं| बदलता हुआ भारत जहा चाँद पर कदम रख चूका हैं वाही दुस्रती ओर गहरी खाई में अपना दूसरा पैर रखा हुआ हैं | जहाँ एक ओर टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो गयी हैं वाही संस्कार न के सामान रह गए हैं | अतः आवश्यक है कि संस्कारो एवं आदर्शों को साथ ले कर सभ्यता की दहलीज़ पर कदम रखे और जब ये सम्पूर्ण राष्ट्र इमानदार , भ्रष्टाचार मुक्त व ‘ हम’ की पुष्परुपी माला पहन लेगा तभी हम कह सकते हैं कि हाँ हमारा देश आज पूरी तरह बदल चुका हैं , जैसे कि कहा गया हैं –
जीवन जीने से ज्यादा ज़रूरी हैं , उस जीवन में अपने संस्कारों एवं आदर्शों को ग्रहण कर के जीन्बा तभी भारत वास्तविक रूप में बदल पएगा |
By Pooja Gupta
Instagram id: _poojagupta28