मेरे सपनों का भारत, जहाँ रहते हों सब मिलजुल कर, हो भाई चारा। ना आमदनी की चिंता, ना खर्चने का दुख... अमन चैन हो चारो ओर। यह अमीरी और गरीबी से परे हैं भारत.... जाती के भेद भाव से परे है ये भारत। ये कर्म भूमि है बरसों से... इसे कर्मों ने ही बिगाड़ा है । बस ऐसा हो मेरे सपनों का भारत, नारी को सम्मान मिले, हर नौजवान को रोजगार मिले। सपनों से भी सुन्दर है ये भारत, कभी सोने की चिड़िया कहलाया है। अभी फ़िर से सोना बन जाये ये । By Sonan Puranik
