अंतर्मन की चीख
अंतर्मन की चीख मां का दूध छुड़ाकर जब, अम्मा ने पानी पिलाया था, वो काम कर सके घर भर का, यह सोचकर मुझे रुलाया था, तब चीख रहा था अंतर्मन.. कुछ पूछ रहा था अंतर्मन… भैया को खिलौने नए-नए, मुझको मिलते थे रहे सहे, मक्खन, मलाई, फल, मिठाई, मेरे हिस्से सुखी रोटी ही आई, तब…