मृत – जीवांत
प्रिय तुम ! तुम्हे मृत्यु से भय लगता है या फिर सब को ! भय मृत्यु के बाद खो जाने का है, मृत्यु का नहीं यह उत्तर में जानता हूं । पर यह मृत अवस्थाओं का तिरस्कार है, जिसे या तो दरकिनार कर दिया जाता है या सम्मान समझ लिया जाता है ( मौन की…
प्रिय तुम ! तुम्हे मृत्यु से भय लगता है या फिर सब को ! भय मृत्यु के बाद खो जाने का है, मृत्यु का नहीं यह उत्तर में जानता हूं । पर यह मृत अवस्थाओं का तिरस्कार है, जिसे या तो दरकिनार कर दिया जाता है या सम्मान समझ लिया जाता है ( मौन की…
बेटी वैसे तो लड़कियाँ सब कुछ कर लेती हैं, चाहे घर का काम हो या बाहर का, लेकिन आज भी उन्हें पढ़ाई का अवसर नहीं मिलता। यह कहानी भी इसी पर आधारित है। एक पिता की दो संतानें थीं, एक बेटी और एक बेटा, लेकिन वह दोनों में काफी भेदभाव करता था। जहां वह…