सोने की चिड़िया- मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत, जहाँ रहते हों सब मिलजुल कर, हो भाई चारा। ना आमदनी की चिंता, ना खर्चने का दुख… अमन चैन हो चारो ओर। यह अमीरी और गरीबी से परे हैं भारत…. जाती के भेद भाव से परे है ये भारत। ये कर्म भूमि है बरसों से… इसे कर्मों ने ही बिगाड़ा है…