मेरे सपनों का भारत वो भारत है…
जिसकी गौरव गाथा
है स्वयं हिमालय गाता
हिंद प्रशांत पैर पखारें
वो भारत भाग्य विधाता
है जिसका स्वर्णिम इतिहास
और भविष्य उज्ज्वल है
माना वर्तमान चुनौतिपूर्ण
लेकिन भाग्य अति प्रबल है
यूँ ही नहीं माना विश्वगुरू हमें
जगत में हमने कार्य महान किए
जीत कर त्रिलोकी भी हमने
सिंहासन हैं दान किए
हमने ही विश्व को दिया दशमलव
और शून्य का ज्ञान दिया
शल्य चिकित्सा सिखलाई
हमने ही खगोल विज्ञान दिया
ऋषियों ने वेद वेदांग दिए
और उपनिषदों का अभिज्ञान दिया
बरछी धनुष कटार दिए
अमोघ बाणों का संधान दिया
अष्टांग योग और आयुर्वेद दिया
भोग पे संयम सिखलाया
सर्वे संतु निरामया कहा और
तेन त्यक्तेन भुंजीथा अपनाया
हमने ही विश्व को मानव कल्याण का मंत्र दिया
हमने ही वैशाली सा विश्व का पहला गणतंत्र दिया
महावीर ने अहिंसा दी कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया
युद्ध से तप्त संसार को बुद्ध ने शांति संदेश दिया
मेरे सपनों का भारत….
— विकास शर्मा वत्स
(अभिज्ञान : अनुस्मरण, पहचान, लक्षण)
City: Faridabad