अद्भुत सा रूप है, ईश्वर का स्वरूप है हमारे प्रकृति के अनेकों रूप है
सावन की हरियाली है बादल भी मतवाली है, हमारी प्रकृति के पेड़ भी झूलों की डाली है
अंबर का आंचल है धरती भी चादर है , हमारे प्रकृति के फलों में भी गागर है,
आमो का मिठास है बबूल भी खास है, वो गर्मी की शाम का भी अपना अंदाज है
चांद भी खास है सूरज भी साथ है सितारों का तो पूछो मत न जाने उनमें बसे कितने ख्वाब है
और अद्भुत सा रूप है ईश्वर का स्वरूप है और हमारे प्रकृति के अनेकों रूप है
खूबसूरती के भी रूप है झूमते मोर उनका स्वरूप है और बरसते बादल से पूछो हमारे प्रकृति का कितना सुंदर रूप है।
by Sakshi Parmar