प्रकृति खतरे में
कि जिस से जीने का स्रोत है कर देते हो उसी को नष्ट । जिसकी हवाएं कर देती है मन को पावन तुम देते हो उसी को कष्ट। प्रकृति अनमोल है समझो इसका मोल इससे ऊपर कुछ नहीं समझो मेरी ये बोल कि रुक जा थम जा संभल जाओ मत दो ये तकलीफ सोचो तो…
कि जिस से जीने का स्रोत है कर देते हो उसी को नष्ट । जिसकी हवाएं कर देती है मन को पावन तुम देते हो उसी को कष्ट। प्रकृति अनमोल है समझो इसका मोल इससे ऊपर कुछ नहीं समझो मेरी ये बोल कि रुक जा थम जा संभल जाओ मत दो ये तकलीफ सोचो तो…
अद्भुत सा रूप है, ईश्वर का स्वरूप है हमारे प्रकृति के अनेकों रूप है सावन की हरियाली है बादल भी मतवाली है, हमारी प्रकृति के पेड़ भी झूलों की डाली है अंबर का आंचल है धरती भी चादर है , हमारे प्रकृति के फलों में भी गागर है, आमो का मिठास है बबूल भी खास…
जिम्मेदार कौन है ईश प्रकृति के इस हनन का तमाशा कौन बना रहा जगमगाते इस चमन का। इंसानों ने दैत्य बनकर जो ये कुटिलता दिखाई है प्रकृति के गर्भ को उजाड़ बस हिंसा ही फैलाई है। पंछियों कि चहचहाहट भी अब गुप्त हो चुकी है मानवता भी अंधेरे के पिंजरे में लुप्त हो चुकी है।…