क्या खूब नज़ारा था
मानो गीता - कुरान का मिलाप था
हिन्दू बहन राखी खरीद रही थी
मुस्लिम भाई बेच रहा था ।
वो बोली, "भैया दाम कुछ तो कम करो"
उसने कहा, "बहन आप समझ कर दे देना"
रास्ते की रेकड़ी थी,
खिचा-तानी थोडी़ तो होनी थी ।
सौदा हुआ,
हिन्दू बहन ने हरी राखी खरीदी
मुस्लिम भाई ने केसरया राखी फ्री दी
भाइचारे का मानो समा बंध रहा था ।
अनोखा एहसास हो रहा था
मानो मानो मंदिर से अज़ान
मस्जिद से आरती हो रही थी
धर्म का भेदभाव मानो मिट रहा था ।
क्या खूब नज़ारा था
शिवाला मस्जिद साथ साथ थे
बीच में कोई दीवार न थी
पूजा में हाथ जुड़े थे, सजदे में सर झुके थे ।
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© डॉ. हितेंद्र मेहता, भारत 🇮🇳
