शिकवा लोग से करना छोड़ दिया है,
हमने थोड़ी सी खुशी के लिए मरना छोड़ दिया है।
अब आए तो फर्क नहीं जाए तो फर्क नहीं,
कुछ इस तरीके से हमने खुद को रोक लिया है।
और शिकवा हमने करना छोड़ दिया है,
अब रूठना छोड़ दिया है,
मनाना छोड़ दिया है,
जमाने को गम बताना छोड़ दिया है।
और कहते हैं लोग बदल गए हो तुम,
और हमने तो यहां मुस्कुराना छोड़ दिया है।
और हमने शिकवा करना छोड़ दिया है।
Author
-
She is a 12th grader from the city of Munger, Bihar dreaming to be a great writer someday. She aspires to learn and implement by taking up multiple professional roles. Through her writing she tries to satiate her curiosity about the universe. She has had multiple roles like HR at Firocoz Pvt Ltd, Content writing , Creative writing, volunteering with NGOs and Public speaking. As a positive soul, you can look that into her writings.
View all posts