मृत – जीवांत
प्रिय तुम ! तुम्हे मृत्यु से भय लगता है या फिर सब को ! भय मृत्यु के बाद खो जाने का है, मृत्यु का नहीं यह उत्तर में जानता हूं । पर यह मृत अवस्थाओं का तिरस्कार है, जिसे या तो दरकिनार कर दिया जाता है या सम्मान समझ लिया जाता है ( मौन की…
प्रिय तुम ! तुम्हे मृत्यु से भय लगता है या फिर सब को ! भय मृत्यु के बाद खो जाने का है, मृत्यु का नहीं यह उत्तर में जानता हूं । पर यह मृत अवस्थाओं का तिरस्कार है, जिसे या तो दरकिनार कर दिया जाता है या सम्मान समझ लिया जाता है ( मौन की…
शिकवा लोग से करना छोड़ दिया है, हमने थोड़ी सी खुशी के लिए मरना छोड़ दिया है। अब आए तो फर्क नहीं जाए तो फर्क नहीं, कुछ इस तरीके से हमने खुद को रोक लिया है। और शिकवा हमने करना छोड़ दिया है, अब रूठना छोड़ दिया है, मनाना छोड़ दिया है, जमाने को गम…
थी एक बच्ची सीधी साधी सी करती थी नादानी वो बड़ी प्यारी सी तोड के जंजीरे वो उरना चाहती थी आसमान का शेर वो करना चाहती थी की जिम्मेदारी से इस कदर दबी की मुस्कुराना छौड दिया इतनी बदनाम हुई की ज़माने को गम बताना छौड दिया थी अल्बैली वो दीवानी सी करती थी बतीया…