भारत कोई नक्शे का टुकड़ा नही
युगों से सनातन का मुखड़ा है वही।
ऋषि मुनि, वीरता की भूमि है भारत
मिटाने वाले मीट गये, मिटा नही भारत।
माथे पर है विश्वगुरु का तिलक
भुजाओं में है शिव-शक्ति की झलक।
सवारी शेर की करता है भारत
पहले वार नही करता है भारत।
विकास पथ पर कदम है अग्रसर
दिल-दिमाग में हौसला बुलंद है निरंतर ।
जी हुजूर मानसिकता ध्वस्त कर चुका है
अपना पक्ष बेखौफ बेझिझक रख रहा है ।
भारत को कोई नज़रंदाज नहीं कर सकता
कोई ताकत अब झुका नही सकता।
वसुधैव कुटुम्बकम अब भी है धुरी वही
सबसे है मोहब्बत, मनमें कोई छुरी नही।
मंजिल-ए-विकास पर सबसे ऊँचा लहराएगा तिरंगा
बदलता भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगा।
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डॉ. हितेंद्र मेहता, भारत
