मेरे मन का भारत वह है,
जहाँ विविधता
केवल शब्द नहीं, एक लय है,
जो मंदिर की घंटियों से लेकर
मस्जिद की अज़ान,
गिरिजाघर के प्रार्थना-गीत
और गुरुद्वारे की वाणी में
एक ही सुर साधती है।
जहाँ शिक्षा केवल अक्षर-ज्ञान नहीं,
बल्कि आत्मा का प्रकाश है,
जो गाँव की पगडंडी से लेकर
शहर की गलियों तक
हर बच्चे की आँखों में
सपनों का दीप जलाता है।
जहां खेतों में सोना लहराए
शहरों में मानवता मुस्कुराए
जहां विज्ञान और वेद मिल जाए
और युगों की दूरी सिमट जाए ।
जहां हतकरधे की बुनाई और
डिजिटल स्क्रीन की रोशनी
एक ही कहानी सुनाते हैं –
मेहनत ,नवाचार और विश्वास की ।
मेरे मन का भारत वह है
जहां स्त्री
सिर्फ घर की शान नहीं
बल्कि आसमान की उड़ान है
फाइटर जेट से लेकर
ओलंपिक के मैदान तक ।
मेरे मन का भारत खुशियों का घर,
जहाँ हर आँगन में खिले प्रगति का स्वर।
जहाँ न हो भूख, न हो लाचारी,
न हो भय, न हो लूट-खसोट की बीमारी।
यह तस्वीर है मेरे मन के भारत की
नीलम पटेल
शोधार्थी
सी.एस.जे.एम. यूनिवर्सिटी
कानपुर ( यू. पी. )
