लम्हों के मोहताज
आसमान का सितारा बन कर , क्या मिला सब के आंखों का तारा बन कर। बनना चाहा जिंदगी किसी की, रह गये तमाशा बन कर। ढुढा सारे जहां में मिला कहीं नहीं, पता नहीं खोई कहाँ हे, ये किस्मत की लकीर। जो मिलेगा कभी नहीं। ये खेल किस्मत की है, वरना कोई मिल कर खोता…