एकता
आज़ाद हुआ वतन मेरा हर बेड़ी से हर बंदिश से आज़ाद हैं हम भारत वासी अब ज़ुल्म से और रंजिश से। हर रंग हर मज़हब हर ज़ात,सबसे पहले इंसान हैंहम नहीं किसीके वोट बैंक,हम अपने वतन की जान हैं। by Dr. Tarannum Shaikh
आज़ाद हुआ वतन मेरा हर बेड़ी से हर बंदिश से आज़ाद हैं हम भारत वासी अब ज़ुल्म से और रंजिश से। हर रंग हर मज़हब हर ज़ात,सबसे पहले इंसान हैंहम नहीं किसीके वोट बैंक,हम अपने वतन की जान हैं। by Dr. Tarannum Shaikh
खून की होली तुमने बहुत खेल ली , आ गयी मेरी बारी संभल जाइए। गर नहीं है तुम्हें देश मेरा पसंद, देश द्रोही यहाँ से निकल जाइये ।आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी , लाखों लोगों ने अपने प्राणों से कीमत चुकाई थी ।तिरंगा लेहराता है आज पूरी कीमत से , हमें मिली आज़ादी…
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