प्रकृति खतरे में
कि जिस से जीने का स्रोत है कर देते हो उसी को नष्ट । जिसकी हवाएं कर देती है मन को पावन तुम देते हो उसी को कष्ट। प्रकृति अनमोल है समझो इसका मोल इससे ऊपर कुछ नहीं समझो मेरी ये बोल कि रुक जा थम जा संभल जाओ मत दो ये तकलीफ सोचो तो…
